रिया को दर्द की दवा देकर सुलाने के बाद, मैं और अजय भी कब सो गए, पता ही नहीं चला। अगली सुबह जब आंखें खुलीं तो धूप तेज़ हो चुकी थी। बिस्तर पर नज़र घुमाई तो देखा कि हम तीनों अब भी वैसे ही नंगे पड़े हुए थे।
मैंने धीरे से अजय के लंड को छुआ, जो अब भी आधा खड़ा था। रात के खेल की यादें अभी ताज़ा थीं।
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